8TH SEMESTER ! भाग-8( Esha...)
Chapter -4: Esha....
कॉलेज का पहला दिन किसी भी हिसाब से मेरे लिए ठीक नही रहा, पहले-पहल तो CS वाली दीपिका मैम ने मुझे बाहर भगा दिया और बाद मे कैंटीन वाला लफडा...कॉलेज के पूरे पीरियड्स अटेंड करने के बाद ऐसा लग रहा था ,जैसे किसी ने सारी एनर्जी चूस ली हो,... ऐसा लगा मानो दिमाग़ मे फ्रूटी पीने वाली स्ट्रा पाइप डालकर दिमाग़ पी गया हो.. एकदम कोमा मे जाने वाली हालत थी.. आँखे अपने आप बंद होने लगी थी.
"थक गया यार..."रूम मे घुसते ही मैने अपना बैग एक तरफ फेका और बिस्तर पर लुढ़क गया
"चल ग्राउंड चलते है, शाम के वक़्त हॉस्टल मे रहने वाली गर्ल्स आती है उधर..."
" भाड़ मे जाए गर्ल्स...मुझे तो नींद आ रही है..."
"ठीक है तू सो, मैं आता हूँ..."
मैं ज़्यादा थका हुआ था, इसलिए तुरंत नींद आ गयी, और जब मेरी नींद खुली तो अरुण मुझे उठा रहा था...
"क्या हुआ बे..."
"अबे रात के 8 बज गये..."
"तो..."मैने सोचा कुछ काम होगा.
"तो क्या..... रात के 8 बजे कोई सोता है क्या..."
"अब तू डिसाइड करेगा कि मुझे कितने बजे क्या करना है..."
"टाइम पास नही हो रहा था, तो सोचा तुझे उठाकर गप्पे-शप्पे मार लूँ...."
"टाइम पास नही हो रहा है तो जाकर बाथरूम मे दीपिका मैम को याद कर ....."और मैं वापस चादर ओढकर गहरी नींद मे चला गया.....
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पुरानी आदत इतनी जल्दी नही बदलती, जब मैं स्कूल मे था तब अक्सर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देता था, और उसी की बदौलत फर्स्ट अटेंप्ट मे ही मुझे बहुत ही अच्छा कॉलेज मिला था...उस दिन भी मैने 4 बजे का अलार्म सेट किया और जैसा कि पहले होता था , दूसरे दिन मेरी आँख अलार्म की वजह से सुबह 4 बजे खुल गयी, लाइट ऑन की और अरुण की तरफ देखा...अरुण आधा बिस्तर पर था और आधा बिस्तर के बाहर ही झूल रहा था....
"क्या खाक पढू ..कल तो सब सर के उपर से पार हो गया था..."बुक्स और नोटबुक खोलकर मैने ढेर सारी गालियाँ दी.. खुद को भी और टीचर्स को भी
कुछ देर तक ट्राइ करने के बाद भी जब कोई फ़ायदा नही हुआ तो , मैने लाइट्स ऑफ की और चादर तान कर लेट गया....मेरी पुरानी आदत के अनुसार नींद तो आने से रही , इसलिए मैं कुछ सोचने लगा...जैसे कि किस टाइम पर किस सब्जेक्ट को उठाकर दिमाग़ की दही करनी है, फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ मे CS सब्जेक्ट का ख़याल आया तो सबसे पहले मेरी बंद आँखो के सामने दीपिका मैम का हसीन चेहरा और उसका हसीन जिस्म छा गया....वो मेरे सामने नही थी, लेकिन मैं उसे पूरा देख सकता था,...और इसी ख़यालात मे गोते लगाते हुए मेरा हाथ मेरे पैंट की तरफ बढ़ा और मन ही मन मै उनसे प्यार करने लगा.. और जब ये प्यार ख़त्म हुआ 😁 तो उसके बाद जो नींद लगी वो सीधे सुबह के 8 बजे खुली....
आज के दिन कॉलेज मे कोई ऐसी आने वाली थी, जिसे नही आना चाहिए था, उस दिन भी मैं और अरुण कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर गये और सीधे अपनी क्लास के अंदर दस्तक दी....नवीन पहले से ही आ चुका था...
"चल बाहर से आते है..."मैं अपनी सीट पर बैठा ही था कि नवीन ने अपने बैग मे कुछ टटोलते हुए मुझसे बोला....
"क्यूँ....क्या हुआ ? "
"लगता है, बाइक की चाबी बाइक मे ही लगी रह गयी..."उसने घबराहट मे जवाब दिया...
मैने सोचा,अरुण को इसके साथ भेज दूं, लेकिन अरुण तो पीछे किसी से जान पहचान बना रहा था इसलिए मुझे ही उसके साथ जाना पड़ा....
"बाइक मे लगी है चाबी..."बाइक मे चाबी लगी देखकर नवीन ने राहत की साँस ली...
हम दोनो अभी बाइक स्टैंड पर ही खड़े थे कि एक तेज़ी से आती हुई एक कार ने वहाँ खड़े सभी लोगो का ध्यान खींचा....कार देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि अंदर बैठे हुए शक्स की हैसियत कितनी ज़्यादा है....
"कोई रहीस बाप का लौंडा होगा..."मैने सोचा, लेकिन मेरी सोच मुझे तब धोका दे गयी, जब उस चमचमाती कार से लड़के की जगह एक लड़की बाहर आई,...
लड़की क्या पूरी मॉडर्न अप्सरा थी वो, कान के झुमके से लेकर उसके सैंडल्स तक उसकी रहिसी और उसकी मॉडर्न जमाने के रंग मे रंगी उसकी शक्सियत की पहचान करा रही थी....पहले तो मैने उस लड़की को पूरा उपर से लेकर नीचे तक देखा और बाद मे मेरे नज़र अपने आप उस जगह पर अटक गयी, जो एक लड़की मे मुझे सबसे अधिक पसंद था,...और ऐसी हरकत करने वाला मैं वहाँ अकेला नही था, वहाँ खड़े लगभग सभी लड़कों का यही हाल था, सब उस लड़की मे अपनी अपनी पसंदीदा जगह देख कर ललचा रहे थे.....
"ये कौन है..."मैने नवीन से पुछा तो उसने जवाब मे कंधे उचका कर मना कर दिया....
वैसे तो उस कॉलेज मे बहुत सारी खूबसूरत लड़किया थी,लेकिन वो लड़की जो अभी-अभी कार से बाहर आई थी ,वो उनमे से सबसे अलग लगी मुझे...ऐसा मुझे क्यूँ लगा इसका रीज़न आज तक मैं नही जान पाया......उसे देखकर मैं और नवीन वही खड़े रह गये, हमारे कदम ज़मीन पर और आँखे उस लड़की पर ही जमी हुई थी....उसके साथ कार से एक और भी लड़की बाहर निकली, जो उसकी करीबी फ्रेंड होगी, ऐसा मैने मान लिया....
"ऐश.."उस लड़की की फ्रेंड ने पहली बार उस मॉडर्न अप्सरा का नाम पुकारा.....
"ऐश..."मैने भी दिल ही दिल मे ये नाम लिया, और बहुत खुश भी हुआ और मेरे अरमान उसे देखकर बाहर आए
"इसको तो पटाना पड़ेगा..."
"क्या...?"नवीन बोला...
"कुछ नही, चल क्लास शुरू हो गयी होगी..."
बरसो से कुछ लफ्ज़ , कुछ अल्फ़ाज़ बड़ी मुश्किल और शिद्दत से लिख रखे थे मैने किसी के लिए, जो मेरे लिए खास हो और आज ऐश को देखकर वो अल्फ़ाज़ मेरे दिल से बाहर आने के लिए मचल रहे थे......
"मै आज जब भी आँखे बंद करता हूँ तो मुझे कई चेहरे दीखते है.. पर एक चेहरा उन सभी चेहरों मे सबसे अलग है...
मुझे उस चेहरे से प्यार है....
मै आज जब भी कोई गाना सुनता हूँ तो उस गाने के हर बोल और हर बीट मे उसे महसूस करता हूँ.. उसकी आवाज़ को महसूस करता हूँ...
मुझे उस आवाज़ से प्यार है...
मै आज जब भी अकेला रहता हूँ तो मेरे ख्यालातो मे एक परी उतर कर आती है... जो मेरी तन्हाई को दूर भागा देती है...
मुझे मेरे ख्वाब की उस परी से प्यार है....
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"बाहर...बाहर, बिल्कुल बाहर..."दमयंती मैम ने मुझसे कहा, जब मैने उनसे अंदर आने की आज्ञा माँगी तो"ये क्या तुम्हारा घर है..."
"सॉरी मैम ..."नज़रें झुका कर मासूम बनने का नाटक करते हुए मैं बोला...
लेकिन मेरी उस मासूमियत का दम्मो रानी पर कोई असर नही हुआ, और उपर से उसने धमकी भी दे डाली कि यदि मैने उससे बहस की तो वो आने वाले 3 दिन तक अटेंडेन्स नही देगी
कल से ये सब कुछ मेरे साथ पहली बार हो रहा था, पहले कभी भी किसी ने क्लास से बाहर नही भगाया था, इसलिए मुझे मालूम तक नही था कि , टाइम पास कैसे करूँ ,उस समय कॉलेज मे घूम भी नही सकता था, क्या पता कोई सीनियर पकड़ कर रैगिंग ले ले....दिल कर रहा था कि दमयंती के बाल पकडू और घसीट कर उसे ही क्लास से बाहर कर दूं....
"अंदर आ जाओ, और अगली बार से समय का ख़याल रखना..."दम्मो रानी ने मेरी तरफ देखा ,शायद मेरी झूठी मासूमियत और भोलेपन को उसने असली समझ लिया था.... पागल औरत. जब क्लास के अंदर आया तो एक बार फिर पूरी क्लास मुझे घूर रही थी, कुछ मुझपर हंस भी रहे थे और कलेजा तब जल गया तब देखा कि अरुण भी हंस रहा है....
"और बेटा, कहाँ घूम रहा थे तुम दोनो..."मैं अरुण के लेफ्ट साइड मे बैठा और नवीन राइट साइड मे बैठ गया...
"कहीं नही यार, बाइक सस्टैंड तक गये थे..."नवीन बोला"टाइम से वापस भी आ जाते यदि वो लड़की नही दिखी होती तो...."
"कौन लड़की बे, जल्दी बता..."
मैम को शक़ ना हो इसलिए हम तीनो अपनी कॉपी मे सामने बोर्ड पर लिखा हुआ सब कुछ छाप रहे थे, और धीमी आवाज़ मे गप्पे भी लड़ा रहे थे.....
"मालूम नही कौन है, लेकिन है एकदम कर्री आइटम....उसके सामने तो दीपिका भी कम है..."सामने बोर्ड की तरफ देखकर मैं बोला,...
एक दो बार दम्मो रानी से मेरी नज़र भी मिली, तब मैने अपना सर उपर नीचे करके उसे अहसास दिलाया कि मुझे सब कुछ समझ आ रहा है , जबकि ऐसा कुछ भी नही था, मैं तो उस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे सोच रहा था, उस वक़्त मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ एश के बारे मे पढ़ना, लिखना और बात करना चाहता था.... जो मै कर भी रहा था.
"कितना अच्छा हो , यदि इस दम्मो की जगह वो अप्सरा हमे मैथ्स पढ़ाए...."दिल के अरमानो ने एक बार फिर घंटिया बजाई, और इन घंटियो को किसी ने बहुत ज़ोर से बजाया....
"मैम ..."क्लास के गेट की तरफ से किसी की आवाज़ आई....और जब नज़रे उस तरफ हुई तो बस वही जमकर रह गयी, गेट पर ऐश खड़ी थी...
"यस..."मैथ वाली मैम ने ऐश से कहा...
"ये भी इसी क्लास मे पढ़ेगी???? "खुश तो बहुत हुआ था , बेंच पर कूद कूद कर नाचना चाहता था, अरुण और नवीन से कहना चाहता था कि"तुम लोग यहाँ से उठ जाओ बे, ऐश यहाँ बैठेगी..."लेकिन अफ़सोस तब हुआ जब वो बोली कि....
"मैम CS ब्रांच की क्लास कौन सी है..."
कॉरिडर मे सबसे पहला क्लास हमारा ही था, इसलिए वो शायद हमारे क्लास मे अपनी क्लास पुछने आई थी, सोचा कि रो रो कर उसे इस बात का अहसास दिलाऊ कि मैं कितना दुखी हूँ, उसके यूँ जाने से , अरुण मेरे अंदर की बेचैनी को समझ गया और बोला...
"ओये, ये नाटक बंद कर, भूल गया क्या...? अपना सच्चा प्यार दीपिका मैम है "
ऐश तो अपनी क्लास मे चली गयी, लेकिन उसकी छाप मेरे दिल पर वो छोड़ गयी थी, और ऐश की छाप केवल मुझपर ही नही पड़ी थी, और बहुत से लोग थे, जिनका दिल ऐश के इस तरह से जाने के कारण उदास था....अरुण और नवीन भी इसी लिस्ट मे थे.....
"वो मेरी माल है, उसको देखना भी मत..."ऐश के जाने के बाद मैने फिर से बोर्ड पर नज़र गढ़ाई और जो कुछ भी दम्मो रानी लिख रही थी, मैं उसे अपनी नोटबुक मे छापते हुए उन दोनो से बोला....
"सेट तो मुझसे ही होगी..."नवीन ने कहा...
" भर लो सब लड़कियो को, दीपिका को देखोगे तब भी यही बोलॉगे कि ये मेरी माल है, एश को देखोगे तब भी यही बोलोगे कि ये मेरी माल है, किसी और लड़की को भी देखोगे तो वो भी तुम दोनो की ही आइटम है, मैं यहाँ हिलाने आया हूँ... है ना "
मैं और नवीन हंस पड़े, और एक बार फिर दमयंती मैम अपनी ज्वालामुखी नज़रों से हम दोनो को घूरने लगी, दमयंती के इस तरह से देखने के कारण मैं और नवीन चुप हो गये और एकदम सीरीयस स्टूडेंट बनकर सामने डेस्क पर रखी बुक्स के पन्ने उलटने लगे.....
"चल आजा कैंटीन से आते है..."लंच मे अरुण ने मुझसे कैंटीन चलने के लिए कहा,
और मेरी आँखो के सामने वो नज़ारा छा गया जब वरुण की आइटम समोसा लेकर मेरे चेहरे से प्यार कर रही थी....मैने अरुण को सॉफ मना कर दिया कि मैं कैंटीन की तरफ नही जाउन्गा,और फिर मैं अपने ही क्लास के सामने आकर खड़ा हो गया, जहाँ कुछ लड़के खड़े होकर बात कर रहे थे, मैं खड़ा तो अपने क्लास मे था लेकिन आँखे CS ब्रांच के क्लास की तरफ टिकी हुई थी,...मैं उस वक़्त वहाँ खड़ा उस वक़्त का इंतेजार कर रहा था कि कब वो मॉडर्न अप्सरा अपने क्लास से बाहर निकल कर आए और मेरी आँखो को सुकून मिले....उपरवाले ने जैसे मेरी मन की बात सुन ली हो, एश अपने उसी फ्रेंड के साथ क्लास से बाहर निकली और बाहर खड़े सभी लोग मचल उठे, सभी एश को देख रहे थे.....हमारी क्लासेस फर्स्ट फ्लोर पे थी और कॉरिडर के दोनो तरफ से नीचे जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....एश अपने फ्रेंड के साथ हमारी तरफ आने लगी,...मैं ये जानता था कि वो मेरे लिए तो इस तरफ नही आ रही है, लेकिन फिर भी धड़कने तेज हो गयी, और वो जब मेरे सामने से गुज़री तो मेरी ज़ुबान लड़खड़ाई
"आईईई ....."बस इतना ही बोल पाया मैं एश को देखकर , और आवाज़ भी इतनी धीमी थी कि मेरे साथ खड़े मेरे क्लास वाले भी उस आवाज़ का ना सुन पाए....
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Yug Purush
16-Dec-2021 03:32 PM
Thanx everyone
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Rohan Nanda
16-Dec-2021 12:01 PM
👍👍
Reply
Sana Khan
05-Dec-2021 08:17 AM
Good
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